किराडू मंदिर के श्राप का रहस्य, और इसकी अद्भुत नक्काशी पर्यटकों को आकर्षित करता है। भारत का एक रहस्यमयी मंदिर जहां शाम होने के बाद जाने वाला पत्थर का बुत बन जाता है।
प्राचीन काल से ही भारत में बहुत से धरोहरों और महानतम स्थापत्य कलाओं का संगम देखने को मिलता है। भारत में बहुत सारी पुरानी हवेलियां और मंदिर है जो इसके गौरवशाली इतिहास को समेटे हुए है। आज हम आपको किराडू के मंदिर से जुड़े इन सभी सवालों का विस्तार से उत्तर देने जा रहे है……..
किराडू मंदिर कहाँ हैं?
किराडू मंदिर का इतिहास क्या है?
किराडू मंदिर का रहस्य?
किराडू का मंदिर शापित है?
किराडू के मंदिर की बनावट कैसी है?
ऐसा ही एक रहस्यमयी मंदिर राजस्थान के बाड़मेर जिले के किराडू गांव में है जिसे किराडू का मंदिर कहा जाता है।
बाड़मेर से लगभग 40 किलोमीटर दूर ही ये मंदिर स्थित है जहां पर राजस्थान की तमाम हवेलियों की तरह सालों पुराने गौरवशाली इतिहास की झलक देखने को मिलती है।
किराडू मंदिर का इतिहास
- बाड़मेर के किराडू मंदिर को राजस्थान का खुजराहो कहा जाता हैं। इस मंदिर को 11वीं शताब्दी में बनाया गया था।
2. इतिहासकारों के मुताबिक इसका निर्माण परमार वंश के राजा दुलशालराज और उनके वंशजों ने किया था।
3. इसके अंदर पांच मंदिर है जिसमें से केवल विष्णु मंदिर और सोमेश्वर मंदिर ही ठीक हालत में है। बाकी तीन मंदिर खंडहर में बदल चुके हैं।
4. यहां पर पर विक्रम शताब्दी 12 के तीन शिलालेख भी मौजूद हैं।
किराडू मंदिर का होश उड़ा देने वाला रहस्य
- किराडू के मंदिर के बारे में लोगों को मानना है कि सूर्यास्त होने के बाद इस मंदिर में लोगों का जाना ख़तरे से खाली नहीं है। जो इंसान शाम को इस मंदिर में प्रवेश करता है वो पत्थर की मूर्ति हो जाता है। किराडू के स्थानीय लोगों का मानना है कि ये मंदिर श्रापित है और जो भी इंसान इस मंदिर में दिन ढलने के बाद प्रवेश करेगा वो पत्थर का हो जाएगा।
2. इस मंदिर में 900 साल पुराना एक राज़ दफ़न है। गांव वालों के मुताबिक आज से तकरीबन 900 साल पहले एक साधु ने यहां के लोगों को श्राप दे दिया था जिसकी वजह से वो लोग पत्थर के हो गए।
3. वर्षों पहले किराडूमें एक तपस्वी पधारे। उनके साथ शिष्यों की एक टोली थी। तपस्वी एक दिन शिष्यों को गांव में छोड़कर देशाटन के लिए चले गए। इस बीच शिष्यों का स्वास्थ्य खराब हो गया।
4. गांव वालों ने उनकी कोई मदद नहीं की। तपस्वी जब वापस किराडू लौटे और अपने शिष्यों की दुर्दशा देखी तो गांव वालों को श्राप दे दिया कि वहां के लोगों के हृदय पाषाण के हैं वह इंसान बने रहने योग्य नहीं हैं इसलिए सब पत्थर के हो जाएं।
5. एक कुम्हारिन थी उन्होंने शिष्यों की सहायता की थी। तपस्वी ने उस पर दया करते हुए कहा कि तुम गांव से चली जाओ वरना तुम भी पत्थर की बन जाओगी। लेकिन याद रखना जाते समय पीछे मुड़कर मत देखना।
6. कुम्हारिन गांव से चली गई लेकिन उसके मन में यह संदेह होने लगा कि तपस्वी की बात सच भी है या नहीं वह पीछे मुड़कर देखने लगी और वह भी पत्थर की बन गई। सिहणी गावं में कुम्हारिन की पत्थर की मूर्ति आज भी उस घटना की याद दिलाती है।
7. इसी श्राप के कहानी की वजह से किराडू का ये भव्य सुंदर मंदिर वीरान हो गया। सूरज डूबने के बाद यहां जाने से पहले लोगों की रूह कांप जाती है।
किराडू के मंदिर की बनावट

इस मंदिर की नक्काशी इतनी बेहतरीन है कि इसे “राजस्थान का खजुराहो” के नाम से भी जाना जाता है। इस मंदिर की दीवारों पर देवी-देवताओं के सुंदर चित्र जीवंत रूप में बनाए गए है। उस जमाने में बिना किसी आधुनिक यंत्रों के इसका जिस प्रकार से निर्माण किया गया वो काबिले तारीफ है।
किराडू का मंदिर ट्रेवलर्स को क्यों आकर्षित करता है?
जहां एक तरफ इस मंदिर का श्रापित कहा जाता है तो वहीं दूसरी तरफ इस रहस्य की वजह से यहां पर न सिर्फ भारत से बल्कि दुनिया भर से लोग इसकी खूबसूरती को जानने और इस रहस्य को देखने के लिए आते है। ये चमत्कारी और अविश्वसनीय कहानी लोगों को यहां तक खींच लाती है और लोग इसे देखने के लिए आते है।
पैरानॉर्मल सोसाइटी ऑफ इंडिया का दावा
पैरानॉर्मल सोसाइटी ऑफ इंडिया के मेंबर चंद्रप्रकाश ने मंदिर की गैलरी में घोस्ट मशीन यानी इलेक्ट्रो मैग्नेटिक फील्ड को मापने वाला एक उपकरण रखा। तो पाया कि यहां इंसानों के अलावा भी कोई दूसरी ताकत मौजूद है।
19 शताब्दी में यहां भूकंप आया था जिसकी वजह से इस मंदिर को बहुत नुकसान पहुंचा। कई सालों तक वीरान रहने के कारण इस मंदिर का रखरखाव नहीं हो पाया था।
मजेदार बात ये है कि नकारात्मक ऊर्जा के बारे में आज तक कोई पुख्ता सबूत नहीं मिले हैं। सभी पैमानों पर विशेषज्ञों ने माना है कि किराडू मंदिर वास्तुकला का अद्भुत नमूना है और घूमने-फिरने के लिए पूरी तरीके से सुरक्षित है।
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