Cyclones In Arabian Sea: हाल ही में मई के महीने मे भारत के दक्षिण – पश्चिमी हिस्से में ताउते चक्रवात ने काफी तबाही मचाई थी। इसकी सबसे अधिक रफ़्तार 220 KM प्रति घंटे मापी गए थी। यह चक्रवात अरब सागर से निकलकर भारत के कई राज्यों जैसे केरल,कर्नाटक ,गोवा,महाराष्ट्र और गुजरात मे तबाही मचा चुका है। इससे कई लोगो की जान गई और करोड़ो लोगो को इसके प्रकोप से बचाया गया। बीते 4 सालों के रिकॉर्ड के मुताबिक अरब सागर में अप्रैल-जून के महीनों में कई चक्रवात आ चुके है।
- ऐसे क्यों हो रहा कि अरब सागर में इतने चक्रवर्ती तूफ़ान आ रहे है?
- इनके बीच का क्या कारण है?
ऐसे ही कुछ सवालों का जवाब आपको आज इस विशेष आर्टिकल में पढ़ने को मिलेगा। तो चलिए जानते हैं इन सवालों के जवाब…
पहले और अब में क्या बदलाव ?
यदि आंकड़ों की माने तो 1891 से 2017 के बीच प्रशांत महासागर में औसतन करीब 5 चक्रवर्ती तूफ़ान उठा करते थे। जिनमें से 4 बंगाल की खाड़ी से और 1 अरब सागर से हुआ करता था ,परन्तु वर्तमान में स्थिति काफी बदल गई है। 2019 की बात करें तो इसने इतिहास को पूरी तरह पलट कर ही रख दिया , इस साल अरब सागर में 5 और बंगाल की खाड़ी में केवल 3 चक्रवात उठे हैं । सामान्य स्थितियों में ऐसा देखने को नहीं मिलता कि अरब सागर में बंगाल की खाड़ी से ज्यादा चक्रवात आए।
पिछले 4 सालो मे अरब सागर के मुख्य चक्रवात (Cyclones In Arabian Sea)
पिछले 4 वर्षों में कई चक्रवात अरब सागर में आए ,जिनमें से 2021 में ताउते ,2020 में निसर्ग ,2019 में वायु और 2018 मे मेकानु मुख्य रहे है। यहाँ 2019 में 5 और 2020 में 2 चक्रवात आए है।
निसर्ग 2020
अरब सागर में आया ये चक्रवात 1 जून से 4 जून तक चला था । इसकी हवाएं 110 KM प्रति घंटे की रफ़्तार तक पहुँच गयी थीं। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक इसकी चपेट में आकर 6 लोगों की मौत हुई थी। इसने भारत के महाराष्ट्र और गुजरात राज्य में काफी तबाही मचाई थी।

वायु 2019
Cyclones In Arabian Sea: वायु अरब सागर में 10 जून 2019 में आया था। जिसका प्रभाव 18 जून 2019 तक रहा था। इस चक्रवात ने भारत समेत पाकिस्तान,मालदीव और ओमान में भी तबाही मचाई थी। इसकी हवाएं 150 km प्रति घंटे तक पहुँच गयी थी। सरकारी आंकड़ों के अनुसार इस चक्रवाती तूफान से 8 लोगों की मौत हुई और 140,000 डॉलर (2019 USD )का कुल नुकसान हुआ था ।
मेकानु 2018
मेकानु चक्रवात 2018 में अरब सागर में आया था। जिससे यमन,ओमान और सऊदी अरब प्रभावित हुए। इसमें कुल 31 लोगों की जान गयी थी। ये चक्रवात 21 मई से शुरू होकर 27 मई तक चला था । इसके कारण 1.5 बिलियन डॉलर का नुकसान हुआ था।
इस तरह के चक्रवाती तूफान आने के पीछे का कारण क्या है?
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रॉपिकल मेटेरियोलॉजी (IITM) के पर्यावरण वैज्ञानिक रॉक्सी मैथ्यू कोल ने इसपर बताया, क्योंकि अरब सागर, बंगाल की खाड़ी की तरह गर्म नहीं है। इसलिए वहाँ बंगाल की खाड़ी के मुकाबले कम चक्रवात आते है ,परन्तु अब स्थिति बदल रही है। यह इसलिए हो रहा है क्योंकि अरब सागर के तटवर्ती इलाकों में तापमान लगातार बढ़ रहा है। जिससे पानी गर्म हो रहा है और ऊर्जा पैदा हो रही है। इसी ऊर्जा से चक्रवात उठते है। बीते 40 वर्षो में अरब सागर के तटवर्ती इलाको का तापमान 1.2 से 1.4 डिग्री सेल्सियस बढ़ गया है। यह सब ग्लोबल वार्मिंग के चलते हो रहा है।
विश्व के सबसे अधिक चक्रवात प्रभावित क्षेत्र
नीचे विश्व के ऐसे क्षेत्रों की बात की गयी है ,जहाँ पर सबसे अधिक चक्रवात आते है। इनमें उत्तरी अटलांटिक महासागर ,पूर्वोत्तर प्रशांत महासागर और उत्तरी पश्चिमी प्रशांत महासागर शामिल है।
उत्तरी अटलांटिक महासागर
इस क्षेत्र में उत्तरी अटलांटिक महासागर,कैरेबियन सागर और मैक्सिको की खाड़ी शामिल है। यहाँ पर सर्वाधिक चक्रवात 1 जून से 30 नवंबर के बीच आते है। इस क्षेत्र की निगरानी की जिम्मेदारी UNHC को सौंपी गयी है। इस क्षेत्र मे USA ,मैक्सिको ,खाड़ी तट ,मध्य अमेरिका ,कैरेबियन द्वीप समूह और बरमूडा आते है।
पूर्वोत्तर प्रशांत महासागर
इस इलाके में 15 मई से लेकर 30 नवंबर तक काफी चक्रवात आते है। ये चक्रवात पश्चिमी मैक्सिको को सबसे अधिक प्रभावित करते है। CPHC इस क्षेत्र की निगरानी करता है।
उत्तर पश्चिमी प्रशांत महासागर
ये पृथ्वी पर मौजूद सबसे सक्रिय क्षेत्र है। यहाँ विश्व में सबसे अधिक चक्रवात आते है। इससे चीन ,हांगकांग ,मकाऊ ,जापान ,कोरिया ,फिलीपींस ,ताइवान और वियतनाम प्रभावित होते है।
– Mukul Sharma