World Elder Abuse Awareness Day 2021: 57 Percentage Elderly In India Are Abused By Their Own Blood(हेल्पएज इंडिया की रिसर्च के मुताबिक 57% बुजुर्गों के साथ उनके घर वाले ही दुर्व्यवहार करते हैं )

बुजुर्गों के साथ हो रहे दुर्व्यवहार के रोकथाम के लिए यह दिवस पूरे विश्व में 15 जून को मनाया जाता है। असल में इस दिवस का उद्देश्य लोगों अपने परिवार के बुजुर्गों के प्रति हो रहे दुर्व्यवहार को लेकर जागरूक करना है।  माँ बाप बच्चों को पढ़ा लिखा कर इस काबिल बनाने की कोशिश करते हैं कि आगे चलकर उनके बच्चें एक बेहतर इंसान बन सके। जो समाज और अपने लोगों का सम्मान कर सके लेकिन हैरानी की बात ये है  कि जब बच्चें काबिल हो जाते हैं तो वही अपने बूढ़े माँ बाप को अकेला छोड़ देते हैं। यह काफी अफ़सोस की बात है कि दुनियाभर में ये सच्चाई बहुत दिल दुखाने वाली है कि बुजुर्गों को अक्सर नज़रअंदाज़ किया जाता है और समाज में कई जगह तो उनके साथ खराब बर्ताव भी होता है। इससे ज्यादा अफसोस की बात यह है कि पूरा समाज इसे देखकर भी अनदेखा कर देता है। 

वर्ल्ड इलडर एब्यूज डे का इतिहास

यह दिवस 15 जून 2006 को( इंटरनेशनल नेटवर्क फॉर द प्रिवेंशन ऑफ एल्डर एब्यूज ) और( वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनिज़शन) द्वारा शुरू की गयी एक वार्षिक पहल है। इस दिवस को सयुंक्त राष्ट्र महासभा द्वारा दिसम्बर 2011 में सयुंक्त राष्ट्र के प्रस्ताव 66 /127 को अपनाकर इस दिन को अधिकारित तौर पर मान्यता दी गयी। सयुंक्त राष्ट्र का कहना है कि यह एक वैश्विक सामाजिक मुद्दा है जो दुनिया भर के हजारों-लाखों वृद्ध व्यक्तियों के स्वास्थ्य और मानव अधिकारों को प्रभावित करता है। इसका मुख्य उदेश्य ये है की बुजुर्गों के साथ हो रहे दुर्व्यवहार को रोका जाए तथा लोगों को जागरूक किया जाये।

बुजुर्गों को बोझ समझने की भूल न करें

आज कल की नई पीढ़ी अपने से बड़ों का सम्मान करने से कतराती है। उनको कई बार तो नज़र अंदाज भी करती है और उनका दुर्व्यवहार भी करती है। इसीलिए ये जानना जरूरी है कि बुढ़ापा एक ऐसी अवस्था है जहाँ पर दुनिया के हर व्यक्ति को पहुचना है। हर पीढ़ी को जीवन के इस पड़ाव से होकर गुजरना होगा। तो ऐसे ये जानना जरूरी है कि अपने से बड़े बुजुर्गों को बोझ ना समझकर, उनका आदर व सम्मान करें। आदर-सम्मान और सेवा उनका अधिकार है। याद रखें बुजुर्गों का तिरस्कार एक अपराध है। युवा वर्ग को अपनी सोच में परिवर्तन लाना होगा उन्हें यह नहीं भूलना चाहिए कि बुढ़ापा तो एक अनिवार्य अवस्था है।

बुजुर्गों की संख्या में बढ़ोतरी होना

जिस तेजी से जनसंख्या बढ़ रही है उससे कहीं ज्यादा बुजुर्गों की संख्या भी तीव्र गति से बढ़ रही है। लेकिन परेशानी की बात यह है कि उनके साथ समाज में बहुत ही तेजी से दुर्व्यवहार की घटनाओं का क्रम भी बढ़ रहा है। बुजुर्गों के साथ हो रहा दुर्व्यवहार एक मानवाधिकारी मुद्दा है। हम इसको नज़रअंदाज़ नहीं कर सकते। कुछ सालों से हमने देखा कि यह सिर्फ घर की चार दीवारी में ही सीमित नहीं है बल्कि सार्वजानिक स्थानों पर भी उनके साथ दुर्व्यवहार होता है। इस समस्या को जब तक दूर नहीं किया जा सकता जब तक हम सब ये एहसास नहीं करेंगे कि 60 -70 के वर्ष में सहारे की जरूरत हर किसी को होती है। ये हमारे समाज की विडम्बना है कि जिस समय में हमें उनका कन्धा बनना चाहिए उस समय हम अपने माता -पिता को किसी वृद्ध आश्रम के सहारे छोड़ देते हैं।

शोषण करने के मामले में खुदके बेटे और बहुएं शामिल

माँ बाप अपने बेटे को कामयाब और काबिल बनाने में अपनी पूरी ज़िन्दगी गुज़ार देते हैं और अधिकतर वही बेटे अपने माँ बाप का अपमान करते हैं। उनका तिरस्कार करते हैं। घर की बहुएं भी अपने सास ससुर के साथ बुरा बर्ताव करती हैं तथा उनके साथ शारीरिक रूप से मार पीट भी करती हैं। हेल्पएज इंडिया की स्टडी के मुताबिक बुजुर्गों को इन सब का सामना करना पड़ता है। इस रिपोर्ट के अनुसार 56 % तिरस्कार , 49 % गाली गलोच , 33 % अनदेखी ये घटनाएं परिवार के लोगों द्वारा ही होता है।

 सास ससुर के साथ दुर्व्यवहार करने वाली बहुओं की संख्या 38 % है जबकि अपने ही माँ बाप का शोषण करने वाले बेटों की संख्या 57% है। ऐसे में कुछ सख्त कानून बनाना आवश्यक है लेकिन कानून से ज्यादा आवश्यक है जन जागरुकता जो कि लोगों को जागरूक करने से आएगी न कि कानून से। अगर सड चीजें कानून बना देने से ठीक हो जाती तो आज रेप की घटनाएं हर रोज न्यूजपेपर में नहीं दिखाई देती।

शोषण करने पर जेल की सजा का भी प्रावधान है 

माँ बाप के साथ अगर कोई दुर्व्यवहार करता है। उनका अपमान करता है, उनको गुजारा करने के लिए अकेला छोड़ देता है। तो आरोपी व्यक्ति को 3 से 6 महीने की सजा भी हो सकती है। हालांकि इस कानून के बारे में लोगों को कम ही जानकारी है। दुर्व्यवहार की शिकायत भी कम ही दर्ज कराई जाती है। इसके पीछे की वजह ये है की समाज में बदनामी का डर , आर्थिक और शारीरिक रूप से कमज़ोर होना। साथ ही लोगों का शिक्षित न होना। इन सभी कारणों से बुजुर्गों के प्रति दुर्व्यवहार और अपराध की घटनाएं तेजी से बढ़ रही है।

दुर्व्यवहार के रोकथाम के लिए कुछ उपाय

  • अपने माता पिता को अनदेखा ना करें। उनकी बातों को नज़रअंदाज़ ना करें।
  • अपने बड़े-बूढ़ो का सम्मान करें उनसे सम्मानजनक तरीके से बातचीत करें और समय-समय पर उनके स्वास्थ्य का ध्यान रखें। उन्हें आर्थिक या सामाजिक रूप से किसी भी पीड़ा न  दें।

– Heena Khan

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