Ramdhari Singh Dinkar: भारत का एक ऐसा कवि जिसने प्रधानमंत्री नेहरू को कह दिया था भैंसा?

Ramdhari Singh Dinkar Life: रामधारी सिंह दिनकर हिंदी जगत के प्रतिष्ठित लेखक, कवि व निबन्धकार थे। उनका जन्म 23 सितंबर, 1908 को बिहार के मुंगेर जिले में हुआ था। इन्होंने शिक्षा अपने स्थान से ही ग्रहण की। उन्होंने संस्कृत, अंग्रेजी, उर्दू जैसे अन्य भाषाओं पर गहनता से अध्ययन किया। इसके बाद वे विद्यालय के प्रधानाचार्य बने। सन् 1950 में इन्हे बिहार स्नातकोत्तर महाविद्यालय में हिंदी विभाग के अध्यक्ष पद पर नियुक्त किया। सन् 1952 में वह राज्यसभा के सदस्य बने। सन् 1964-65 तक भागलपुर विश्वविद्यालय के कुलपति भी रहे और 1965 में ही वे भारत सरकार द्वारा हिंदी के सलाहकार नियुक्त कर दिए गए। इस पद पर वे लगभग छः वर्ष तक रहे।

दिनकर ने प्रधानमंत्री नेहरू को कह दिया भैंसा (Ramdhari Singh Dinkar said Nehru bhainsa)

साल 1962 जब देश चीन से युद्ध में मार गया था और भारत के कई सारे सैनिकों की जान चली गयी थी. उसके बाद रामधारी सिंह दिनकर ने सदन में नेहरू को संबोधिति करते हुए कविता के माध्यम से उनकी तुलना एक भैंसे से कर दी थी. जो काफी ज्यादा घातक होता है और एक वक्त बाद वो घर के लोगों को ही मारने लगता है. उस कविता कुछ पंक्तियाँ इस प्रकार से हैं जोकि उनकी फेमस रचना परशुराम की प्रतीक्षा में वर्णित है…
वे देश शान्ति के सब से शत्रु प्रबल हैं,
जो बहुत बड़े होने पर भी दुर्बल हैं,
हैं जिनके उदर विशाल, बाँह छोटी हैं,
भोथरे दाँत, पर, जीभ बहुत मोटी हैं।
औरों के पाले जो अलज्ज पलते हैं,
अथवा शेरों पर लदे हुए चलते हैं।

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रामधारी सिंह दिनकर ने स्वतंत्र भारत के लिए भी महत्वपूर्ण योगदान दिए। उन्होंने रेणुका और हुंकार जैसी रचनाएँ लिखकर अंग्रेजों को भारतीय कलम की ताकत बता दी थी और विद्रोही कवि के रूप में नज़र आए थे। आज़ादी पश्चात वे राष्ट्रकवि के रूप में मुखरित हुए। उन्होंने भावात्मक और विवेचनात्मक शैली में कलम चलाई। उनकी रचनाओं में वीर रस की प्रधानता है। वे भारत के एक गंभीर व प्रखर कवि थे। उन्हें साहित्य अकादमी, ज्ञानपीठ और पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया। वे सन् 1974 को इस दुनिया को अलविदा कह गए। लेकिन आज भी इनकी रचना पाठक को भाव विभोर कर देती है। वे आज भी विनम्रतापूर्वक याद किए जाते हैं।

उर्वशी, रेणुका, रश्मिरथी, कुरुक्षेत्र, प्रणभंग, नीम के पत्ते, द्वन्द्वगीत, परशुराम की प्रतीक्षा आदि रामधारी सिंह दिनकर की प्रमुख रचनाएँ हैं।

कलम या कि तलवार– रामधारी सिंह दिनकर की कविता

दो में से क्या तुम्हे चाहिए कलम या कि तलवार

मन में ऊँचे भाव कि तन में शक्ति विजय अपार

अंध कक्ष में बैठ रचोगे ऊँचे मीठे गान

या तलवार पकड़ जीतोगे बाहर का मैदान

कलम देश की बड़ी शक्ति है भाव जगाने वाली,

दिल की नहीं दिमागों में भी आग लगाने वाली

पैदा करती कलम विचारों के जलते अंगारे,

और प्रज्वलित प्राण देश क्या कभी मरेगा मारे

एक भेद है और वहां निर्भय होते नर -नारी,

कलम उगलती आग, जहाँ अक्षर बनते चिंगारी

जहाँ मनुष्यों के भीतर हरदम जलते हैं शोले,

बादल में बिजली होती, होते दिमाग में गोले

जहाँ पालते लोग लहू में हालाहल की धार,

क्या चिंता यदि वहाँ हाथ में नहीं हुई तलवार

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