सालों पहले एक झगड़े के चक्कर में हुई थी भारतीय राजनीति में एंट्री, क्या योगी आदित्यनाथ दूसरी बार बन पाएंगे उत्तर प्रदेश के सीएम?
उत्तर प्रदेश विधानसभा के चुनाव आगामी 10 फरवरी को शुरू होने वाले हैं । उत्तर प्रदेश में 403 विधानसभा सीटों के लिए कुल 7 चरणों में मतदान होने वाले हैं, जिनके लिए तारीखों की घोषणा चुनाव आयोग की तरफ से किया जा चुका है। देश में उत्तर प्रदेश समेत पांच अन्य राज्यों जैसे पंजाब, गोवा,उत्तराखंड, मणिपुर में भी चुनाव 10 फरवरी से शुरू होंगे, जिनके नतीजे 10 मार्च को जारी किए जाएंगे।
इस बार उत्तर प्रदेश विधानसभा का चुनाव सबसे अहम होने वाला है, क्योंकि इस बार जनता उत्तर प्रदेश में योगी राज के 5 सालों के कार्यों के साथ-साथ बढ़ती मंहगाई, बेरोजगारी और कोरोना आदि को ध्यान में रखते हुए वोट देना का मन बना रही है। ऐसे में अब ये देखना काफी दिलचस्प होगा कि उत्तर प्रदेश में एक बार फिर से कमल खिलेगा और योगी आदित्यनाथ दूसरी बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बनेंगे या फिर उत्तर प्रदेश की जनता किसी और पार्टी को अपने जनादेश से जीतने की तैयारी में है। परिणाम जो भी हो लेकिन उत्तर प्रदेश विधानसभा 2022 का चुनाव भारतीय जनता पार्टी से ज्यादा अहम सूबे के मुख्यमंत्री योगीआदित्यनाथ है, क्योंकि योगी आदित्यनाथ का भारतीय राजनीति का सफर काफी ज्यादा दिलचस्प रहा है। साथ ही एक महंत से लेकर मुख्यमंत्री बनने तक का सफर भी काफी ज्यादा महत्वपूर्ण रहा है। इसी कारण इस चुनाव के नतीजे अगर उनके हक में आते हैं, तो एक बार फिर से उत्तर प्रदेश की राजनीति में उनका दबदबा कायम हो जाएगा और 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए भी एक जरुरी पृष्ठभूमि भी तैयार हो जाएगी।

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गोरखपुर के गोलघर के दुकानदार के साथ हुए झड़प से शुरू हुआ था योगी आदित्यनाथ का राजनीतिक सफर
तकरीबन दो दशक पहले गोरखपुर के मुख्य बाजार के गोलघर इलाके में एक दुकान पर कुछ लड़के कपड़ा खरीदने जाते हैं और वहां पर दुकानदार से कुछ बातों पर झड़प हो जाती है।अपने ऊपर हमला होता देख दुकानदार अपनी रिवॉल्वर निकाल ली. ये सभी लड़के गोरखनाथ मंदिर पीठ के द्वारा संचालित अन्तर कॉलेज में पढ़ने वाले छात्र थे। इस घटना के दो दिन बाद एक युवा योगी के नेतृत्व में छात्रों ने उस दुकानदार की गिरफ्तारी की मांग को लेकर उग्र प्रदर्शन दिया और मौजूदा एसएसपी के घर के दीवार पर चढ़ गए। ये युवा योगी कोई और नहीं योगी आदित्यनाथ थे, जिन्होंने घटना से कुछ दिनों पहले यानी 15 फरवरी 1994 को गोरखनाथ मंदिर के उत्तराधिकारी के रूप में अपने गुरु महंत अवैद्यनाथ से दीक्षा ली थी। गोरखनाथ मंदिर नाथ संप्रदाय का सबसे प्रमुख मंदिर माना जाता है और इस तरह भारतीय राजनीतिक इतिहास के साथ गोरखपुर की राजनीति में भी एक एंग्री यंग मैन की एंट्री हुई थी, जो साल 2017 में योगी से उत्तर प्रदेश का राजयोगी बनाया गया।
हिंदुत्व के सबसे बड़े फ़ायरब्रांड नेता बन गए योगी
योगी आदित्यनाथ का गोरखपुर की राजनीति में उदय उस दौर में हुआ जब गोरखपुर के दो बाहुबली और बेहद कद्दावर नेताओं हरिशंकर तिवारी और वीरेंद्र प्रताप शाही का दबदबा कमजोर पड़ने लगा था। गोरखपुर के युवाओं और खास करके गोरखपुर विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले सवर्ण युवाओं को योगी के एंग्री यंग मैन वाले छवि ने काफी ज्यादा प्रभावित किया। साथ ही उन्हें युवा योगी आदित्यनाथ में हिन्दू महासभा के पूर्व अध्यक्ष महंत दिग्विजयनाथ की छवि दिखाई दी और यहीं से ज्यादा से ज्यादा युवा उनसे जुड़ने लगे, जिसके बाद से उत्तर प्रदेश की राजनीति और यहां के लोगों के बीच में योगी आदित्यनाथ ‘हिंदुत्व के सबसे बड़े फ़ायरब्रांड नेता’ के रूप में स्थापित हो गए।
क्यों जरुरी है 2022 का विधानसभा चुनाव जीतना?
बीजेपी से ज्यादा उत्तर प्रदेश का विधानसभा चुनाव योगी आदित्यनाथ के लिए जीतना बहुत जरुरी है, क्योंकि अगर ये चुनाव बीजेपी हार जाती है, तो इससे बीजेपी को तो नुकसान होगा ही। साथ ही योगी आदित्यनाथ के ब्रांड वैल्यू पर भी काफी फर्क पड़ेगा. साथ ही उन्हें देश के प्रधानमंत्री बनाने को लेकर जो भी चर्चाएं हो रही है, वो भी इससे ज्यादा प्रभावित हो जाएगी। योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में इस बार का विधानसभा चुनाव लड़ा जाएगा, जहां पर पिछले 5 सालों के कार्यों और योगी के रिपोर्ट कार्ड को देखते हुए जनता अपना जनादेश सुनाने के लिए सिर्फ 10 फरवरी का इंतजार कर रही है और आने वाले 10 मार्च को देखना लाजमी होगा कि क्या जनता ने योगी के रिपोर्ट कार्ड को अपने जनादेश से पास किया है या फिर यूपी में बदलाव होने वाला है?
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