देश में 5 राज्यों में चुनाव आगामी 10 फरवरी से शुरू होने वाले हैं. ऐसे में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर प्रदेश में हलचल तेज है. साथ ही उत्तर प्रदेश की मौजूद सत्ता पक्ष की पार्टी से लेकर अन्य विपक्षी पार्टियों और छोटे-मोटे दलों में काफी गहमा-गहमी मची हुई है, क्योंकि 2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से ही आगामी 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव का भी भविष्य तय होना है. ऐसे में मौजूदा सत्तारूढ़ पार्टी बीजेपी की दृष्टिकोण से उत्तर प्रदेश विधानसभा का ये चुनाव काफी अहम और महत्त्वपूर्ण होने वाला है. अब ऐसे में देखना काफी दिलचस्प होगा कि क्या उत्तर प्रदेश में एक बार फिर से कमल खिलेगा या फिर क्या कोई और पार्टी इस बार सरकार बनाने में कामयाब हो पाएगी?
क्या उत्तर प्रदेश में गोरखपुर विधानसभा सीट से होंगे योगी और चंद्रशेखर आजाद आमने-सामने?
उत्तर प्रदेश की इस विधानसभा चुनाव में भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर आजाद ने भी अपनी आजाद समाज पार्टी की तरफ से चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है. हालही में बीबीसी को दिए के इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि, ‘उनकी आजाद समाज पार्टी इस बार उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में 403 विधानसभा सीटों से अपने कैंडिडेट्स को उतारने वाली है. साथ ही चंद्रशेखर खुद उत्तर प्रदेश में गोरखपुर विधानसभा से चुनाव लड़ने की इच्छा व्यक्त कर रहे हैं. उनका मानना है कि वो गोरखपुर विधानसभा से सीएम योगी आदित्यनाथ के खिलाफ चुनाव लड़ना चाहते हैं.’ जोकि सीधे तौर पर योगी आदित्यनाथ को खुली चुनौती होगी, क्योंकि गोरखपुर योगी आदित्यनाथ का गढ़ माना जाता है और रिकॉर्ड है कि उन्होंने वहां से हर एक चुनाव जीते हैं. ऐसे में इस बार उत्तर प्रदेश की गोरखपुर सीट से इस बार योगी बनाम आज़ाद की एक टक्कर देखने को मिल सकती है.

कैसी है दोनों की राजनीतिक छवि?
अगर दोनों नेताओं के राजनीतिक सफर और छवि की बात करें तो योगी आदित्यनाथ लगातार 5 बार गोरखपुर संसदीय क्षेत्र से बतौर संसद चुने जा चुके हैं. गोरखपुर क्षेत्र में योगी आदित्यनाथ का राजनीतिक दबदबा काफी ज्यादा मजबूत है. साथ ही एक संसद के परे एक महंत के तौर पर योगी आदित्यनाथ का जनता से सीधा संपर्क रहा है. लोग उनमें महंत दिग्विजयनाथ के तेवर और महंत अवैद्यनाथ का सामाजिक सेवा कार्य दोनों का सम्मिलित रूप देखते हैं. जबकि दूसरी तरफ अगर बात चंद्रशेखर आजाद की कीजिए तो चंद्रशेखर अभी राजनीति में योगी आदित्यनाथ के सामने काफी नए हैं. हालांकि विगत कुछ वर्षों में और खास करके देश की राजधानी दिल्ली समेत देश के अन्य राज्यों में सीएए और एनआरसी के विरोध के दौरान आजाद काफी सुर्ख़ियों में रहे थे. इसके अलावा हाथरस कांड में भी चंद्रशेखर ने एक बड़े विक्षप की भूमिका निभाई थी. इसके अलावा वो दलित समाज और पिछड़ों लोगों की भलाई के लिए आवाज उठाते हुए दिखाई देते हैं. जिसके चक्कर में कई बार उनको जेल भी भेजा गया है.
नहीं जमी सपा से गठबंधन की बात
यूपी चुनाव शुरू होने के 6 महीने पहले से ही चंद्रशेखर आजाद की पार्टी और समाजवादी पार्टी के बीच गठबंधन के लिए कई सारे प्रयास किए गए. मगर अंत समय में तक कुछ बात बन नहीं पायी, जिसके बाद से आजाद समाज पार्टी ने अब छोटे दलों के साथ 403 सीटों पर अकेले चुनाव लड़ने का फैसला किया है.
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