कोरोना की दूसरी लहर के दौरान उत्तर प्रदेश की गंगा नदी में रातोंरात कहां से आई थी इतनी सारी लाशें? इस किताब में किया गया है दांवा

एक बार फिर से देशभर में कोरोना वायरस का नया वैरिएंट ओमिक्रोन तेजी से फैल रहा है, जिसकी वजह से देश की राजधानी समेत कई राज्यों में हर दिन इसके ज्यादा से ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं। बीते 24 घंटों में राजधानी दिल्ली में ही ओमिक्रोन के कुल 12,527 नए मामले दर्ज किए गए हैं और जबकि 24 लोगों की मौत हुई है। वहीं उत्तर प्रदेश में ओमिक्रोन के हर रोज 15 हजार से ज्यादा केस आ रहे हैं।
ऐसे कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए उत्तर प्रदेश में बच्चों के स्कूल-कॉलेजों को अगले आदेश तक बंद कर दिया गया है, मगर एक बहुत ही वाजिब सवाल ये खड़ा होता है कि जब कोरोना के मामले इतनी तेजी से फैल रहे हैं, तो क्या ऐसे में उत्तर प्रदेश समेत देश के अन्य 5 राज्यों में चुनाव करना सही फैसला है?

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‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ में छपे एक रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना की दूसरी लहर के दौरान मरने वालों का आंकड़ा 2 लाख से भी ज्यादा था। जिसके मुताबिक हर रोज सेकंड वेव के दौरान भारत में 2,000 से भी ज्यादा लोगों ने अपनी जान गंवाई है।

कहां से आयी थी गंगा में इतनी सारी लाशें?
कोरोना की दूसरी लहर के ही बीच उत्तर प्रदेश में अचानक गंगा नदी में कई सारे लाशों के दिखाई देने से पूरे देश में हड़कंप मच गया था। जिसने दूसरी लहर के दौरान उत्तर प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था के साथ-साथ सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के द्वारा किए गए इंतजामों का भी पोल खोल दिया था, लेकिन क्या आप जानते हैं कि,इतनी सारी लाशें गंगा में आयी कहां से?

कोरोना की दूसरी लहर के दौरान कई सारी लाशें उत्तर प्रदेश और बिहार के गंगा नदी में प्रवाहित कर दी गई थी। जिस भले ही राज्य सरकारों ने सिरे से ख़ारिज कर दिया था, लेकिन ‘गंगा: रीइमेजिनिंग, रिजुवेनेटिंग, रीकनेक्टिंग’ नाम की इस किताब में ये दांवा किया गया है कि कोरोना से मरने वाले लोगों की 300 से ज्यादा अधजली लाशों को गंगा में प्रवाहित कर दिया गया था। साथ ही आपको जानकर हैरानी होगी कि ये किताब राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के महानिदेशक और नमामि गंगे के प्रमुख राजीव रंजन मिश्रा और आईडीएएस अधिकारी पुस्कल उपाध्याय ने मिलकर लिखी है।

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कोरोना की दूसरी लहर के दौरान उत्तर प्रदेश समेत देश के कई अन्य राज्यों में मरने वाले लोगों के आंकड़ों को सरकारी फाइलों से बहुत ही सफाई से ये कहकर हटा दिया गया कि कोरोना या फिर ऑक्सीजन की कमी से हमारे राज्य या शहर या फिर गांव में कोई भी हुई। लेकिन सबसे आपको जानकर हैरानी होगी कि गंगा नदी में उतनी सारी लाशें जो रातोंरात आ गई थी, वो उत्तर प्रदेश और बिहार के ग्रामीण इलाकों में मरने वाले लोगों की ही थी। जो कोरोना की दूसरी लहर में बिना इलाज काल के ग्रास बन गए। साथ ही कोरोना काल में उन्हें किसी भी श्मशान घाट में अंतिम क्रिया करने की भी सुविधा मुहैया नहीं हो पायी थी। जिसके बाद कई सारे लोगों के शवों को जहां-तहां गंगा किनारे दफना दिया गया था, जो बाद में बाढ़ से जलभराव होने की वजह से जमीन से ऊपर गंगा की पानी में आ गए।

बीबीसी रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर प्रदेश में कोरोना की दूसरी लहर के दौरान मरने वालों में से कई सारे लोगों को प्रयागराज के समीप पड़ने वाले श्रृंगवेरपुर घाट और फाफामऊ घाट के पास दफना दिया गया था। जिनकी लाशें बाद में बाढ़ आने से गंगा की पानी में ऊपर आकर बहने लगी थी। साथ प्रयागराज में पड़ने वाले मेंडारा गांव में कोरोना की दूसरी लहर के दौरान 57 लोगों की मौत कोरोना से हुई, लेकिन सरकारी रिकॉर्ड में एक भी मौत न होने का दांवा किया गया। ​

ऐसे में क्या उत्तर प्रदेश तीसरी लहर से निपटने के लिए तैयार है या फिर से सरकारी कागजों से मौत के आंकड़ों के मिटाने के लिए, इस सवाल आप स्वयं विचार कीजिए।

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