Main hi toh sab kuch galat karta hun achha thik hain Shayari: तहज़ीब हाफी आज के दौर में सबसे ज्यादा ख्याति प्राप्त शायरों में से एक है. उन्होंने उर्दू शायरी जगत में अपना एक अलग मुकाम बनाया है. आज हम आपके लिए तहज़ीब काफी की बेहतरीन और चुंनिंदा शायरियों का बेहतरीन कलेक्शन लेकर आएं हैं.
बाद में मुझ से ना कहना घर पलटना ठीक है
वैसे सुनने में यही आया है रस्ता ठीक है
शाख से पत्ता गिरे, बारिश रुके, बादल छटें
मैं ही तो सब कुछ गलत करता हूँ अच्छा ठीक है
Main hi toh sab kuch galat karta hun achha thik hain
तहज़ीब हाफी के कुछ और चुंनिंदा शायरियां
जेहन तक तस्लीम कर लेता है उसकी बर्तरी
आँख तक तस्दीक कर देती है बंदा ठीक है
एक तेरी आवाज़ सुनने के लिए ज़िंदा है हम
तू ही जब ख़ामोश हो जाए तो फिर क्या ठीक है
कौन तुम्हारे पास से उठ कर घर जाता है
तुम जिसको छू लेती हो वो मर जाता है
इसलिए ये महीना ही शामिल नहीं उम्र की जंत्री में हमारी
उसने इक दिन कहा था कि शादी है इस फरवरी में हमारी
रुक गया है वो या चल रहा है हमको सब कुछ पता चल रहा है
उसने शादी भी की है किसी से और गाँव में क्या चल रहा है
अब मज़ीद उससे ये रिश्ता नहीं रक्खा जाता
जिससे इक शख़्स का पर्दा नहीं रक्खा जाता
ये मैंने कब कहा कि मेरे हक़ में फ़ैसला करें
अगर वो मुझ से ख़ुश नहीं है तो मुझे जुदा करें
मैं उसके साथ जिस तरह गुज़ारता हूँ ज़िंदगी
उसे तो चाहिए कि मेरा शुक्रिया अदा करें
अब ज़रूरी तो नही है कि वो सब कुछ कह दे
दिल मे जो कुछ भी हो आँखों से नज़र आता है
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मैं उससे सिर्फ ये कहता हूं कि घर जाना है
और वो मारने मरने पे उतर आता है
इसीलिए तो सबसे ज़्यादा भाती हो
कितने सच्चे दिल से झूठी क़समें खाती हो
जैसे तुमने वक़्त को हाथ में रोका हो
सच तो ये है तुम आँखों का धोख़ा हो
मेरी दुआ है और इक तरह से बद्दुआ भी है
ख़ुदा तुम्हें तुम्हारे जैसी बेटियाँ अता करे
तू किसी और ही दुनिया में मिली थी मुझसे
तू किसी और ही मौसम की महक लाई थी
डर रहा था कि कहीं ज़ख़्म न भर जाएँ मेरे
और तू मुट्ठियाँ भर-भर के नमक लाई थी
क्या ख़बर कौन था वो, और मेरा क्या लगता था
जिससे मिलकर मुझे, हर शख़्स बुरा लगता था
मुझ से मत पूछो के उस शख़्स में क्या अच्छा है
अच्छे अच्छों से मुझे मेरा बुरा अच्छा है
किस तरह मुझ से मुहब्बत में कोई जीत गया
ये न कह देना के बिस्तर में बड़ा अच्छा है