World Environment Day: What We Have Lost So Far (विश्व पर्यावरण दिवस के दिन जानिए तेजी से विलुप्त होती जीव-जंतुओं की प्रजातियों के बारे में)

अमेरिकन बर्ड कंजर्वेनसी के केस स्टडी के मुताबिक साल 1970 से लेकर आज 50 सालों में नॉर्थ अमेरिका से तकरीबन 3 बिलियन पक्षियां इस दुनिया से विलुप्त हो गई है जो कि पक्षियों की कुल संख्या का 29 प्रतिशत भाग माना जाता है.

5 जून को पूरे विश्व में ‘वर्ल्ड एनवायरनमेंट डे‘ यानी विश्व पर्यावरण दिवस के नाम से मनाया जाता है. विश्व का हर देश बहुत ही तेजी से विकास कर रहा है. एक से बढ़कर एक तकनीक, रोज नए-नए आविष्कार किए जा रहे है. यहां तक कि हम मार्स पर भी जाने की बात कर रहे है. एक नई दुनिया बसाने की कल्पना कर रहे है लेकिन क्या आप जानते है कि हर रोज आज इस दुनिया में कई सारे जीव-जंतुओं का जीवन हमारी वजह से खत्म होता जा रहा है? पूरे विश्व में जितनी तेजी से ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन हो रहा है उसे पर्यावरण को कितनी क्षति पहुंच रही है?  तेजी से वातावरण का तापमान बढ़ रहा है, जंगल काटे जा रहे हैं जिनकी वजह से जीव के अस्तित्व पर एक गंभीर खतरा मंडरा रहा है.

जंगल की कटाई होने से कई सारे जीवों के निवास स्थान खत्म हो गए जिसकी वजह से उनकी प्रजातियां धीरे-धीरे विलुप्त होती जा रही हैं. साथ हर साल विश्व के विभिन्न देशों के जंगलों में लग रही आग की घटनाओं की वजह से भी कई सारे जीव-जंतु और वनस्पतियां इसके चपेट में आकर नष्ट हो जा रही है. साल 2020 में ब्राजील के अमेज़न फॉरेस्ट में लगी आग से पूरा विश्व परेशान हो गया था. इस प्रकार जंगलों में बढ़ते आग के मामलों के पीछे की सबसे बड़ी वजह है, तेजी से चल रही विकास की दौड़ हैं. जिसमें हर आदमी, हर एक राष्ट्र तेजी से आगे बढ़ना चाहता है.

Fire in Amazon Rainforest

एक रिपोर्ट के मुताबिक पिछले 50 सालों में अमेज़न के जंगलों का 17 प्रतिशत भाग नष्ट हो गया है. जिसके चलते कई सारे वन्य जीवों का जीवन संकट में आ गया. जंगलों में आग लगने का सिलसिला केवल विदेशों तक ही सीमित नहीं है बल्कि भारत के भी कई बड़े जंगलों में हर साल आग लगने की घटना सामने आती रहती है. जैसे हिमालय के जंगलों में लगी आग, उड़ीसा, उत्तराखंड, हिमाचल आदि. साथ ही भारत में कई सारे विकास प्रोजेक्ट को लेकर न जाने कितने जंगलों को काटने तक की परमिशन सरकार द्वारा दिया गया है. जैसे- आरे जंगल का विवाद जिसमें महाराष्ट्र सरकार ने जंगल को काटकर मेट्रो लाइन बनाने का फैसला लिया था.

Wild lizard die due to amazon rainforest( Every Single Photo has been taken from google which are used in this article)

क्या अब हीरो से मिलेगी प्राणवायु ऑक्सीजन?

साथ आपको जानकर हैरानी होगी कि अभी हाल ही में मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले के बकस्वाहा इलाके के एक जंगल में देश का सबसे बड़ा हीरे का खान मिलने का दावा किया गया है. जिसे निकालने के लिए इस जंगल के तकरीबन 2 लाख 15 हजार 875 पेड़ों को काटकर इस पूरे भू-भाग से हीरे को निकाला जायेगा. इन हीरों को निकालने के लिए तकरीबन 382.131 हेक्टेयर में फैले जंगल को खत्म किया जायेगा. जिसके कारण न जाने कितने पेड़-पौधों के साथ कई सारे जंगली जीवों के अस्तित्व भी खतरे में आ जाएगा. इस जमीन में तकरीबन 3.42 करोड़ कैरट के हीरे दबे होने का अनुमान है. वन विभाग के आंकड़ों के मुताबिक इस जंगल में तकरीबन 40 हजार पेड़ सागौन के है, बाकी पीपल, आम। केम, , तेंदू, जामुन, बहेड़ा, अर्जुन जैसे औषधीय पेड़ भी हैं. मई 2017 में पेश की गई जियोलॉजी एंड माइनिंग मप्र और रियोटिंटो कंपनी की रिपोर्ट में तेंदुआ, बाज (वल्चर), भालू, बारहसिंगा, हिरण, मोर इस जंगल में होना पाया था लेकिन अब नई रिपोर्ट में इन वन्यजीवों के यहां होना नहीं बताया जा रहा है. दिसंबर में डीएफओ और सीएफ छतरपुर की रिपोर्ट में भी इलाके में संरक्षित वन्यप्राणी के आवास नहीं होने का दावा किया है. साथ ही ये भी कहा गया है कि इस जगह के बदले में राजस्व जमीन पर नया सिरे से पौधे लगाए जाएंगे. 

कौन-कौन सी प्रजातियां क्लाइमेट चेंज की वजह से आज पूरी तरह से विलुप्त हो गई हैं?

जिस प्रकार से मानव आविष्कार और तकनीकी विकास हो रहा है. इसके कारण निरंतर पर्यावरण में कई प्रकार के बदलाव तेजी से देखने को मिल रहे हैं. ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन के कारण जिस तेजी से पूरी पृथ्वी का तापमान बढ़ रहा है. ऐसे में ग्लेशियर के पिघलने से लेकर जीव-जंतुओं के लुप्त होने तक की सारी घटनाएं हो रही है. जिनकी वजह से आज के समय में कई सारे ऐसे जीव-जंतु अब पूरी तरह से लुप्त हो गए हैं और कुछ लुप्त होने के कगार पर है. दुनिया में जंगली जानवरों की 7 ऐसी प्रजातियाँ जो आज ख़त्म होने के कगार पर है और उन्हें बचाना एक अहम और चुनौतीपूर्ण कार्य है.

1. सुमात्रा राइनो (Sumatran Rhino)

सुमात्रा राइनो गैंडे की एक खास प्रकार की प्रजाति हैं जो कद में सबसे छोटी होती है. पूरी दुनिया में इस प्रजाति के गैंडे तकरीबन 80 से भी कम बचें है जो मुख्य रूप से इंडोनेशिया में है. साल 2019 में मलेशिया की अंतिम सुमात्रा राइनो का निधन हो गया, जिसका नाम इमान था, और वो कैंसर की वजह से मर गई.

Sumatran Rhino

2. चीनी पैडलफिश (Chinese Paddlefish)

चीनी के इस खास प्रकार के मछली को दिसंबर 2019 से पूरी तरह से विलुप्त घोषित कर दिया गया. पैडेलफिश एक खास प्रकार की मछलियों की प्रजाति हैं जो साफ पानी में पायी जाने वाली दुनिया की सबसे बड़ी मछली मानी जाती है. जो मुख्य तौर पर यांगत्सी नदी एशिया में पाया जाता हैं. लेकिन पिछले कुछ सर्वेक्षण में इसका कोई सुराग नहीं मिलने के कारण इसे विलुप्त घोषित कर दिया गया है और शायद ये स्पेसिज अब दुनिया में नहीं है. साल 2005 से लेकर 2010 तक इस प्रजाति के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा था और 2019 में इन्हें मृत पाया गया. 

Chinese paddlefish

3. यांग्त्ज़ी जायंट साफ्टशेल टर्टल (Yangtze Giant Softshell Turtle)

यांग्त्ज़ी जायंट साफ्टशेल टर्टल ये कछुए की एक ऐसी प्रजाति हैं जिसका सुरक्षा कवच बहुत ही मुलायम होता है. लेकिन दुर्भाग्य की बात ये है कि इस प्रजाति के अस्तित्व पर भी खतरा बना हुआ है. इस प्रजाति के अब केवल 3 कछुए पूरे विश्व में बचें हुए हैं. अप्रैल 2019 में इस प्रजाति की अंतिम फीमेल कछुआ Xiangxiang मर गई थी.

Yangtze Giant Softshell Turtle

4. इंडियन चीता (Indian Tiger)

भारत में पाया जाने वाला चीता और उसके साथ तीन अन्य जानवरों का अस्तित्व आज खतरे में आ गया है. इनकी संख्या पूरे भारत में 150 से कम रह गई है. आपको बता दें कि इनका अस्तित्व पर खतरा तेजी से इंडस्ट्रीज बनाने के लिए हो रहीं जंगलों की कटाई हो रही है. इसके कारण इनके जीवन पर संकट मंडरा रहा है. साथ ही तेजी से बढ़ते मरूस्थलीकरण से पूरा फूड चैन प्रभावित हो रहा है. 

Indian Tiger

5. स्पिक्स मकाउ तोते (Spix macaw)

स्पिक्स मकाउ एक खास प्रकार की पक्षी है. जो कि ब्राजील में पायी जाती है. साल 2016 में अचानक इनकी संख्या में भारी कमी देखी गई जिसकी वजह से इनके अस्तित्व खतरे में है. साथ ही इस प्रजाति को लुप्त होने से बचाने के लिए ब्राजील के बर्ड सेंचुरी में इन्हें संरक्षित करके रखा गया है. ब्राजील की सरकार ने इन्हें फिर से अस्तित्व में लाने के लिए निर्णय भी लिया है.

macaw parrots

6. कटरैन पुप्फिश (Catarina Pupfish)

कटरैन पुप्फिश एक स्वच्छ जल में पायी जाने वाली एक खास मछली है जो मेक्सिको में पायी जाती है. इस प्रजाति की मछली के अस्तित्व पर संकट तब खड़ा हो गया जब ग्राउंड वाटर एक्ट्रेक्शन शुरू हुआ. इसके बाद साल 2019 में इन्हें पूरी तरह से विलुप्त घोषित कर दिया गया. साल 1994 में ये जंगल में रहने वाली मछली थी. लेकिन अचानक जंगलों की भारी कमी से ये शहरों में आ गई और साल 2012 से 2019 तक जीवित रही.

Catarina Pupfish

7. वेस्ट अफ्रीकन ब्लैक राइनोसोर्स (West African Black Rhinoceros)

वेस्ट अफ्रीकन ब्लैक राइनोसोर्स पूरे साउथइस्ट अफ्रीका में पाया जाता था. ये 3 से 3.8 मीटर लम्बे और 1.4 से 1.7 मीटर ऊंचे होते थे. इनका वजन तरीबन 800 से 1300 किलोग्राम होता था और इनके दो सींग होते थे. जिनमें से एक 0.5 से 1.3 मीटर और दूसरा 2 से 55 सेंटीमीटर होता था. साल 1930 से इनको बचाने के लिए अभियान शुरू किया गया लेकिन साल 2011 में इस  प्रजाति के राइनोसोर्स को विलुप्त घोषित कर दिया गया. अंतिम बार इन्हें कैमरून में साल 2006 में देखा गया था. 

West African Black Rhinoceros

8. पैसेंजर पीजेन या जंगली कबूतर (Passenger Pigeon)

ये कबूतर नॉर्थ अमेरिका में पाया जाता था जिसे पैसेंजर पीजेन या जंगली कबूतर कहा जाता था. ये 20वीं शताब्दी की शुरुआत में ही इस दुनिया से विलुप्त हो गए. जब यूरोप नॉर्थ अमेरिका में आया तो तकरीबन 3 से 5 बिलियन पैसेंजर पीजेन यूएस में चले गए और यहां पर इनके अनुसार निवास स्थान न मिल पाने की वजह से इनकी मौत हो गई. इसका एक और कारण ये भी रहा कि 19वीं शताब्दी में कबूतर को खाने में भी इस्तेमाल किया जाने लगा और इस कारण इनका शिकार होने लगा. जिसके कारण तेजी से इनका अस्तित्व खत्म हो गया. 

Passenger Pigeon

9. तसमानिया टाइगर (Tasmanian Tiger / The Thylacin)

इस प्रकार के टाइगर मुख्य रूप से ऑस्ट्रेलिया, तसमानिया और न्यू जूनिया में पाये जाते थे. ये किसी भी प्रकार से बाघ की तरह नहीं दिखते थे ये तो बड़े साइज के कुत्ते जैसे दिखाई देने वाले जीव थे लेकिन इनके शरीर पर डार्क धारीदार लाइनें इन्हें टाइगर जैसा लुक देती थी. इनकी लम्बाई 2 मीटर और वजन तकरीबन 30 किलोग्राम था. इनके विलुप्त होने का सबसे बड़ा कारण शिकारियों के द्वारा इनका शिकार हो जाने की वजह से हुआ. अंतिम तसमानिया टाइगर साल 1910 से 1920 के बीच मार गया था और एक अपने आप होबर्ट जू में मर गया था. साल 1936 में ही ये प्रजाति इस दुनिया से विलुप्त हो गई. 

Tasmanian Tiger / The Thylacin

1970 से अबतक तकरीबन 3 बिलियन पक्षियों की हो चुकी है मौत

 पर्यावरण को जिस तेजी से हर दिन मानव जनित कारणों की वजहों से क्षति पहुंच रही है, उसके कारण आज के समय में कई सारी पक्षियों के भी अस्तित्व पर भी खतरा मंडराने लगा है. औद्योगिकीकरण के कारण तेजी से जंगल काटे जा रहे हैं, साथ आये दिन विश्व के तमाम बड़े जंगलों से लेकर भारत तक के कई सारे जंगलों में आग लगने की घटनाएं सामने आ रही है. इन सबका का सीधा प्रभाव पर्यावरण और इसमें रहने वाले लाखों करोड़ों पशु-पक्षियों पर पड़ रहा है. अमेरिकन बर्ड कंजर्वेनसी के केस स्टडी के मुताबिक साल 1970 से लेकर आज 50 सालों में नॉर्थ अमेरिका से तकरीबन 3 बिलियन पक्षियां इस दुनिया से विलुप्त हो गई है जो कि पक्षियों की कुल संख्या का 29 प्रतिशत भाग माना जाता है. साथ ही कई सारे सी बर्ड्स भी मर रहे हैं. साल 2015 से लेकर 2016 के बीच कैलिफोर्निया और अलस्का के समुद्रतटीय इलाकों और बीच के पास से तकरीबन 1 मिलियन यानी 10 लाख समुद्री पक्षियों की मौत हुई है. जो की पूरे इतिहास में सबसे ज्यादा मरने वाले पक्षियों की संख्या को दर्शाता है.

more than 1 million birds died in North America between year 2015-2016

प्लॉस वन(PLOS ONE Journal) जर्नल में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार इन सभी पक्षियों की मौत के पीछे का कारण है प्रशांत महासागर में आये ‘द बोल्ब’ (the blob) नामक तूफान के कारण अचानक से बढ़े तापमान था. विलुप्त हुए 3 बिलियन पक्षियों में से 90 प्रतिशत पक्षियां 12 अलग-अलग प्रजातियों से थी. इस सभी के मौत का सबसे बड़ा कारण था इनके निवास स्थान का खत्म हो जाना था. दरअसल कृषि कार्यों के लिए तेजी से जंगलों की कटाई होने की वजह से इन पक्षियों के निवास स्थान पर गहरा संकट आ गया है और उसके अभाव में इनकी मौत हो गई. 140 मिलियन पक्षियों के ऊपर हुए स्टडी से पता चला है कि नॉर्थ अमेरिका में पाई जाने वाली 604 प्रजातियों की पक्षियों में से तकरीबन 389 पक्षियों के अस्तित्व पर क्लाइमेट चेंज, तेजी से बढ़ती गर्मी, समुद्र स्तर का बढ़ता हुआ स्तर और असंतुलित मौसम जैसे अचानक से पड़ने वाला सूखा और आने वाले हीट वेब की वजह से खतरा मंडरा रहा है. साल 2018 में बर्ड लाइफ इंटरनेशनल ने वैश्विक स्तर पर किए अपने रिसर्च के आधार पर बताया कि साल 1980 में पूरे यूरोप में से 300 मिलियन पक्षियों की मौत हुई है.

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